Thursday 21 September 2017

नमस्कार मित्त्रो कम निवेश मे भी आप कर सकते है ये शैक्षणिक कारोबार और कमा सकते है हर महीने काम से काम १ लाख रुपये अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे 8982880201 पर विज्ञानं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे बच्चे बन सकते है सुपर कंप्यूटर से भी तेज़ / कर सकते है अपनी १००% मानसिक शक्ति का प्रयोग वो भी बोहोत आसानी से यही कारन है इस तकनीक ने सारी दुनिया में धूम मचा राखी है टीवी चेंनेल हो या अखबार हर तरफ छा गई है आग की तरह सारी दिनिया में फ़ैल गई है डॉ ,इंजीनियर , वकील , वैज्ञानिक , सभी अपने बच्चो का ब्रेन एक्टिव करवाचुके है अब आपकी बरी आज ही जानिए और बच्चो के जीवन में लाये क्रन्तिकारी परिवर्तन लाये आपका बालक बन सकता है बुद्धू से बुद्ध , नासमझ से समझदार , बेवकूफ से अकालमंद , आम से ख़ास क्या आप नही चाहते ? मिड ब्रेन एक्टिवेशन में कितना समय लगता है? मिड ब्रेन एक्टिवेशन वैसे तो २ दिन में हो जाता है. पहले और दूसरे दिन 6 घंटे अभ्यास कराया जाता है. इसके बाद इसका फॉलोअप दो घंटे हर हफ्ते करवाया जाता है। इनके लिए कारगर..करीब डेढ़ माह के अभ्यास में बच्चों की इंद्रियां संवेदनशील होने लगती हैं। बच्चों को क्या फायदा होता है? हम अगर चाहते है बच्चा पूरे बैलेंस के साथ काम करे, तो इन दोनों के बीच का पॉइंट यानी मिड ब्रेन एक्टिव करना जरूरी है। बॉडी के लेफ्ट और राइट दोनों तरफ के पार्ट बराबर उपयोग करने की प्रेक्टिस कराई जाती है। म्यूजिक थेरेपी, मेडिटेशन, छोटी छोटी ब्रेन स्ट्रेंथ बढ़ाने की एक्सरसाइज से भी मिड ब्रेन एक्टिव होता है। ट्रेनिंग और प्रॉपर कोर्स से 5 से 15 साल तक के बच्चों का मिड ब्रेन आसानी से एक्टिव हो सकता है। 15 की उम्र के बाद आने वाले हार्मोनल बदलाव मिड ब्रेन को पूरी तरह से एक्टिव नहीं कर पाते। इसलिए 15 की उम्र के बाद इसके एक्टिवेशन के चांस बहुत कम होते हैं। मिड ब्रेन एक्टिव होने पर बच्चा आंख पर पट्टी बांधकर भी चीजें और रंग पहचान लेता है। मिड ब्रेन एक्टिवेशन कोर्स करने के बाद बच्चों में एकाग्रता की जबर्दस्त बढ़ोतरी होती है, यहां तक की वे आंखों में पट्‌टी बांधकर किताबें पढ़ सकते हैं, विभिन्न रंगों को आसानी से पहचान सकते हैं। कोर्स करने के बाद छात्रों की जीवन शैली ही बदल जाती है। यह कोर्स ध्यान वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है, जिससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इस कोर्स के कई लाभ हैं जैसे आईक्यू बढ़ना, आत्मविश्वास बढ़ना, क्रिएटिविटी का विकास आैर गुस्से पर नियंत्रण। अन्य फायदे बच्चा आंखें बंद करके पढ़सकता है.आंखों पर पट्टी बांधकर किसी भी वस्तु या व्यक्ति को छू कर, सूंघ कर उसके बारे मेंसटीक बता देता है, मानो उसे खुली आंखों से देख रहाहो। अगर आप समझ रहे हैं कि को ये चमत्कारी ताकत जन्म से नहीं मिली है, तो ऐसा नहीं है। यह वरदान योग और विज्ञान के मिलेजुले चमत्कार से मिला है। चमत्कार नहीं; योग और विज्ञान का मिलाजुला प्रयोग…यह ‘मिड ब्रेन एक्टिवेशन टेक्निक’के जरिये होता है। इसमें लगातार अभ्यास, जिसमें बच्चों को ब्रेन-एक्सरसाइज, ब्रेन-जिम, मेडिटेशन और विशेष तौर पर कंपोज किए गए स्प्रिचुअल-म्यूजिक पर डांस कराया जाता है। भारतीय योग और जापानी तकनीक के मिलेजुले अभ्यास से बच्चों की इंद्रियों को अतिसंवेदनशील बना दिया जाता है। इस अभ्यास के बाद बच्चा अपने आस-पास के संसार को सभी इंद्रियों से महसूस कर पाता है। अति सूक्ष्मग्राही¬ ‘मिड ब्रेन एक्टिवेशन टेक्निक’ के लगातार अभ्यास से सूंघने और स्पर्श से चीजों को पहचानने की क्षमता बढ़ जाती है। आंखों पर पट्टी बांध देने के बावजूदछू कर या सूंघ कर लिखे हुए को पढ़ लेता है। सूंघने की क्षमता और उंगलियां केस्पर्श से ऑब्जेक्ट(वस्तु)का सटीक अक्श उसके मिड ब्रेन पर उभर उठता है। नतीजतन वह ऑब्जेक्ट के बारे में सब कुछ बयां कर आम आदमी को अचंभे में डाल देता है। मेडिटेशन के अभ्यास से मिड-ब्रेन को शून्य पर केंद्रित करते हैं • बच्चों का आई-क्यू कई काफी बढ़ जाता है। • उसकी ग्रेस्पिंग पावर में वृद्धि हो जाती है। • आंखें बंद रख कर भी किसी भी दृश्य, वस्तु या व्यक्ति को विवरण पेश कर सकता है। नतीजतन स्मरण-शक्ति बढ़ जाती है। • बच्चे में एनालिटिकल एप्रोच उत्पन्न होने लगती है, नतीजतन निर्णय-भमता बढ़ती है। • प्रतिदिन 15 के अभ्यास से जीवन भर इस टेक्निकका लाभ लिया जा सकताहै। फ्रैंचाइज़ी लेने के लिए संपर्क करे 898288021